Class 12th Geography chapter 1 | जनसंख्या : वितरण , घनत्व ,वृद्धि और संघटन | भारत लोग और अर्थव्यवस्था

जनसंख्या : वितरण , घनत्व ,वृद्धि और संघटन



पाठ सार
  • भारत अपनी 121 करोड़ जनसंख्या के साथ चीन के बाद विश्व में दूसरा सघनतम बसा हुआ देश है।
  • भारत की पहली जनगणना 1872 में हुई थी किन्तु पहली सम्पूर्ण जनगणना 1881 में संपन्न हुई थी।
            जनसंख्या का वितरण :-
  • भारत में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या सर्वाधिक है इसके बाद महाराष्ट्र बिहार और पश्चिम बंगाल का स्थान है।
  • भारत में जनसंख्या का असम स्थानिक वितरण देश की जनसंख्या और भौतिक सामाजिक आर्थिक तथा ऐतिहासिक कारकों के बीच घनिष्ठ संबंध प्रकट करता है।
  • भौतिक कारकों में भूमि-विन्यास और जल की उपलब्धता के साथ जलवायु प्रमुख रूप से वितरण के प्रतिरूपों का निर्धारण करती है।
  • सिंचाई के विकास (राजस्थान) खनिज एवं ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता (झारखंड) और परिवहन जाल के विकास (प्रायद्वीपीय राज्यों) के परिणाम स्वरूप उन क्षेत्रों में जो पहले विरल जनसंख्या क्षेत्र थे वे अब जनसंख्या के मध्यम से उच्च संकेंद्रण के क्षेत्र हो गए हैं।
  • दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, पुणे, अहमदाबाद, चेन्नई और जयपुर के नगरीय क्षेत्र औद्योगिक विकास और नगरीकरण के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण नगरीय प्रवासियों को आकर्षित कर रहे हैं इसलिए इन क्षेत्रों में जनसंख्या का उच्च सांद्रण पाया जाता है।
           जनसंख्या का घनत्व :-
  • जनसंख्या के घनत्व को प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्तियों की संख्या द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है।
  • भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. (2011) है 1951 में जनसंख्या का घनत्व 117 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. से बढ़कर 2011 में 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. होने से विगत 50 वर्षों में 200 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. से अधिक की उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है।
  • भारत अपनी 121 करोड़ जनसंख्या के साथ चीन के बाद विश्व में दूसरा सघनतम बसा हुआ देश है।
  • अरुणाचल प्रदेश में कम से कम 17 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. से लेकर दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 11297 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. जनसंख्या घनत्व है।
  • कायिक घनत्व = कुल जनसंख्या / निवल कृषित क्षेत्र कृषीय घनत्व = कुल कृषि जनसंख्या / निवल कृषित क्षेत्र

         जनसंख्या की वृद्धि :-

  • दो समय बिंदुओं के बीच किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों की संख्या में परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि का जाता है।
  • जनसंख्या वृद्धि के घटक - प्राकृतिक और अभिप्रेरित
  • प्राकृतिक वृद्धि का विश्लेषण अशोधित जन्म और मृत्यु दरों से निर्धारित किया जाता है अभिप्रेरित घटकों को किसी दिए गए क्षेत्र में लोगों के अंतर्वती और बहिर्वति संचलन की प्रबलता द्वारा स्पष्ट किया जाता है।
  • भारत की जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 1.64% है।
  • जनसंख्या के दुगुना होने का समय वर्तमान वार्षिक वृद्धि दर पर किसी भी जनसंख्या के दुगुना होने में लगने वाला समय है।
  • 1901-1921 की अवधि को भारत की जनसंख्या की वृद्धि की रुद्ध अथवा स्थिर प्रावस्था कहा जाता है।
  • 1921-1951 के दशकों को जनसंख्या की स्थिर वृद्धि की अवधि के रूप में जाना जाता है।
  • 1951-1981 के दशकों को भारत में जनसंख्या विस्फोट की अवधि के रूप में जाना जाता है।

जनसंख्या वृद्धि में क्षेत्रीय भिन्नताएं :-

  • केरल कर्नाटक तमिलनाडु आंध्र प्रदेश ओडिशा पुडुचेरी और गोवा जैसे राज्य में निम्नतम वृद्धि दर पाई जाती है जो दशक में 20% से अधिक नहीं हुई। देश में केरल (9.4 ) में निम्नतम वृद्धि दर दर्ज की गयी
  • वर्तमान में किशोरों अर्थात 10 से 19 वर्ष का आयु वर्ग का अंश 20.9% है।
  • वर्तमान में किशोरों अर्थात 10 से 19 वर्ष का आयु वर्ग का अंश 20.9% है।
  • राष्ट्रीय युवा नीति फरवरी 2014 में आरंभ की गई है जो भारत के युवाओं के लिए एक समग्र दूरदर्शी प्रस्ताव रखती है।
  • राष्ट्रीय युवा नीति 2014 15 से 29 वर्ष के आयु समूह के व्यक्ति को युवा के रूप में परिभाषित करती है।
  • भारत अपनी 121 करोड़ जनसंख्या के साथ चीन के बाद विश्व में दूसरा सघनतम बसा हुआ देश है।

जनसंख्या संघटन :-

  • जनसंख्या संगटन जनसंख्या भूगोल के अंतर्गत अध्ययन का एक सुस्पष्ट क्षेत्र है जिसमें आयु व लिंग का विश्लेषण निवास का स्थान मानव जाति लक्षण जनजातियां, भाषा, धर्म, वैवाहिक स्थिति, साक्षरता और शिक्षा में व्यवसायिक विशेषताएं आदि का अध्ययन किया जाता है।

ग्रामीण-नगरीय संघटन :-

  • बिहार और सिक्किम जैसे राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत बहुत अधिक है। गोवा और महाराष्ट्र राज्यों की कुल जनसंख्या का आदेश से कुछ अधिक भाग गांव में बसता है।
  • नगरीय जनसंख्या की वृद्धि दर सवृद्ध आर्थिक विकास, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संबंधी दशाओं में सुधार के कारण तेजी से बढ़ी है।

धार्मिक संघटन :-

  • धर्म सर्वाधिक भारतीयों के सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित करने वाले प्रमुख बलों में से एक है।
  • भारत-बांग्लादेश सीमा में भारत-पाक सीमा से सलंगन जिलों, जम्मू और कश्मीर, उत्तर पूर्व के पर्वतीय राज्यों और दक्कन पठार वह गंगा के मैदान के प्रकरण क्षेत्रों को छोड़कर हिंदू अनेक राज्यों में एक प्रमुख समूह के रूप में वितरित हैं

श्रमजीवी जनसंख्या का संघटन :-

  • आर्थिक स्तर की दृष्टि से भारत की जनसंख्या को 3 वर्गों में बांटा जाता है जिनके नाम है - मुख्य श्रमिक, सीमांत श्रमिकों व अश्रमिक।

"बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सामाजिक अभियान के द्वारा जनरल के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा"

  • समाज का विभाजन पुरुष महिला और ट्रांसजेंडर में प्राकृतिक और जैविक रूप से माना जाता है. लेकिन वास्तव में समाज सबके लिए अलग-अलग भूमिका निर्धारित करता है और यह भूमिकाएं फिर से सामाजिक संस्थाओं द्वारा सुदृढ़ कर दी जाती है
  • यह एक वैश्विक चुनौती है जिसको सयुंक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने संज्ञान में लिया है।

  • यूएनडीपी के अनुसार यदि विकास में सभी जेंडर सम्मिलित नहीं है तो ऐसा विकास लुप्त प्राय हैं सामान्य जन में किसी भी प्रकार का भेदभाव और विशेष रूप से जेंडर के आधार पर भेदभाव मानवता के प्रति एक अपराध है।

  • भारत सरकार ने इन सभी को संज्ञान में लेते हुए तथा भेदभाव से होने वाले दुष्प्रभाव को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" सामाजिक अभियान चलाया है।

  • कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 56.6 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर हैं जबकि केवल 3.8% श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं और 41.6 % अन्य श्रमिक है जो गैर-घरेलू उद्योग, व्यापार, वाणिज्य, विनिर्माण और मरम्मत तथा अन्य सेवाओं में कार्यरत हैं।

व्यावसायिक संवर्ग :-

  • 2011 की जनगणना ने भारत की श्रमजीवी जनसंख्या को चार प्रमुख संवर्गों में बांटा है। कृषक, कृषि मजदूर,  घरेलू औद्योगिक श्रमिक अन्य श्रमिक

  • महिला श्रमिकों की संख्या प्राथमिक क्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक है यद्यपि विगत कुछ वर्षों में महिलाओं की द्वितीयक और तृतीयक ट्रैक्टरों की सहभागिता में सुधार हुआ है।
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